पालमपुर, मुकेश मेहरा। अब आपकी सेहत का ख्याल पौधे रखेंगे। ये न केवल आपको तंदुरुस्त रखेंगे बल्कि घर के भीतर पैदा होने वाली हानिकारक गैसों को भी सोख लेंगे। सुनने में आपको यह जरूर अटपटा लगेगा लेकिन यह सौ फीसद सच है। यह संभव हुआ है पालमपुर स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआइआर-आइएचबीटी) के वैज्ञानिकों की बदौलत।
सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर ने अब तक ऐसे 12 पौधों का पता लगाया है और इनमें एलोवेरा, एरिका पाम, बारवटन-डेजी (जरबेरा डेजी), बोस्टोन-फरन, गुलदाउदी, फिलोडेनड्रोन, इंग्लिश-आइवी, पीस लिली, रबर प्लांट, स्नेक प्लांट, लघु सेंसेवेरिया व वीपिंग फिग शामिल हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात को माना है कि घर की दीवारों के रंग, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, डयोड्रेंट, बूट पॉलिस, अगरबत्ती, गैस, परफ्यूम, बिल्डिंग मैटीरियल, हीटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व सिगरेट के धुएं से हानिकारक गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, बैनजीन, ट्राइक्लोरो थाइलीन, जाइलीन, टॉयलीन व कार्बन मोनोऑक्साइड आदि पैदा होती हैं। इन सभी गैसों को वोलाटाइल ऑगे्रनिक कंपाउंड (वीओसी) नाम दिया गया है। इन गैसों से लोग आंखों की जलन, जुकाम, गले में दर्द, दमा व निमोनिया आदि बीमारियों की चपेट में आते हैं।
वैज्ञानिकों ने इन बीमारियों को सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम नाम दिया है। यदि उपरोक्त 12 पौधे अगर घर के भीतर रखे जाएं तो सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम से छुटकारा पाया जा सकता है। हानिकारक गैसें सोखने के बाद भी इन पौधों के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं आता है।
अगर पौधों की सही देखरेख हो तो ये लंबे समय तक रखे जा सकते हैं। इन पौधों की उपयोगिता अस्पताल, ऑफिस, स्कूल व इंडस्ट्रियल इकाइयों में काफी अधिक है। इन पौधों की खेती कर लोग आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकते हैं।
by-jagran.com
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