Wednesday 28 March 2018

पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित, वजन बढ़ना, कब्ज और रूखे बाल मुख्य लक्षण

32 प्रतिशत भारतीयों में थायरॉइड के असामान्य स्तर पाए जाते हैं. उन्हें अलग-अलग थायरॉइड जैसे थायरॉइड नोड्यूल, हाइपरथायरॉइडिज्म, गॉयटर, थायरॉइडाइटिस और थायरॉइड कैंसर होता है.



 इंडियन थायरॉयड सोसाइटी के मुताबिक देश के हर 10 में से 1 आदमी थायरॉयड से पीड़ित है. वहीं, एक ताजा रिपोर्ट में पता चला है कि लगभग 32 प्रतिशत भारतीयों में थायरॉइड के असामान्य स्तर पाए जाते हैं और वे अलग-अलग थायरॉइड रोगों से पीड़ित होते हैं, जैसे थायरॉइड नोड्यूल, हाइपरथायरॉइडिज्म, गॉयटर, थायरॉइडाइटिस और थायरॉइड कैंसर. रिपोर्ट से यह भी संकेत मिलता है कि सब क्लिनिकल हाइपोथायराइडिज्म असल में हाइपोथायरॉइडिज्म का एक हल्का रूप है. यह एक साइलेंट कंडीशन है, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है और पूरे देश में थायरॉइड विकार का सबसे प्रचलित रूप है.


सब-क्लिनिकल हाइपोथायराइडिज्म का पता तब चलता है, जब किसी व्यक्ति में हाइपोथायरॉइडिज्म के हल्के लक्षण दिखते हैं, थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) का उच्च स्तर मिलता है और थायरॉक्सिन (टी4) का सामान्य स्तर मिलता है.


हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि थायरॉइड रोग महिलाओं में अधिक होता है. इससे वजन और हार्मोन असंतुलन जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. थायरॉइड हार्मोन और टीएसएच में वृद्धि के निर्धारण में आनुवंशिकी की एक प्रमुख भूमिका है. इससे ऑटोइम्यून थाइरॉइड रोग का पता लगाना भी संभव हो जाता है. 


उन्होंने कहा, "थायरॉइड समस्याओं के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को थायरॉइड असामान्यता का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, अपने परिवार के चिकित्सा इतिहास के बारे में जागरूक होना और पहले से सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है."

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हाइपोथायरॉइडिज्म के कुछ सामान्य क्लिनिकल लक्षणों में डिप्रेशन और थकान, हाइपरलिपिडेमिया और हाइपर होमोसिस्टीनेमिया, गॉइटर, रूखे बाल, ठंड बर्दाश्त न कर पाना, कब्ज और वजन बढ़ना, सुनने में कठिनाई, मेनोरेगिया, ब्रेडिकार्डिया और कोरोनरी धमनी रोग या हृदय रोग आदि प्रमुख हैं.

टिप्पणिया उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि लोगों के बीच थायरॉइड के कारण, लक्षण, उपचार और समस्याओं के परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की जाए. यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इन रोगों का महिलाओं के लिए अधिक जोखिम है. गर्भवती महिलाओं या गर्भधारण की इच्छुक महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपने थायरॉइड की जांच करा लें. (इनपुट - आईएएनएस)

by ndtv

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