Tuesday 6 February 2018

यूपी पुलिस की नीयत पर सवाल : 10 माह 1142 एनकाउंटर

 यूपी पुलिस की नीयत पर सवाल : 10 माह 1142 एनकाउंटर
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यूपी में करीब-करीब हर शहर, जिला और कस्बा के पुलिस अफसर बदल दिए गए. थाने-चौकी तक को उलट-पलट दिया गया. खुद योगी जी ने अलग-अलग मंच से गुंडों को सीधे ललकारा. कभी दो महीने तो कभी चार महीने में यूपी से जुर्म और मुजरिमों का सफाया कर देने के दावे किए. पर यूपी से जुर्म तो खत्म नहीं हुआ अलबत्ता पुलिसवालों को एनकाउंटर करने की सरकारी छूट ज़रूर मिल गई. नतीजा ये है कि पिछले दस महीने में य़ूपी में करीब 1200 एनकाउंटर हो चुके हैं. पर जिस तरह नोएडा के एक शख्स को यूपी पुलिस ने गोली मार कर एनकाउंटर का जामा पहनाने की कोशिश की है, उससे पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं.10 माह में 

10 माह में 1142 एनकाउंटर

यूपी में 20 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 यानी पिछले दस महीने में 1142 एनकाउंटर किए गए. जिनमें 34 आरोपी अपराधियों की मौत हो गई. 265 आरोपी अपराधी घायल हुए और 2744 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इस मुठभेड़ों के दौरान चार पुलिस वालों की भी मौत हुई.

सरकार की सस्ती हरकतें

यूपी पुलिस बेहयाई की ऑक्सीजन से सांसें ले रही है और बेचारगी की आबो-हवा के बीच उखड़ती सांसों को संभाल कर किसी तरह ज़िंदा रहने की जद्दोजेहद करता आम इंसान. सत्ता के बोलवचन में सस्ती हरकतें करती सरकार. सरकार के इशारे पर लाइसेंसी पिस्टल से सराकारी कत्ल करते पुलिस वाले. और सत्ता से दूर रहने की छटपटाहट के बीच मुद्दों को भी व्यापार बनाने वाले विपक्षी नेता. इन सबके बीच फंसे हैं आम यूपी के लोग. 


नहीं बदली जुर्म की तस्वीर

सत्ता के चेहरे बदल गए. सत्ता के गलियारों के मोहरे बदल गए. चौकी बदली, थाने बदले, जिले बदले, अफसर बदले अफसरों के अफसर बदल गए. बस नहीं बदली तो यूपी में जुर्म की तस्वीर और यूपी की तकदीर. नेता बोलते हैं और बहुत खूब बोलते हैं. पर नेताओं को भी समझना चाहिए कि उनकी बोल के मोल रहें इसके लिए तोल-मोल के ही बोलें. खाली बोलने के लिए ना बोलें. योगी जी कहां तो दो महीने में यूपी से अपराध और अपराधियों के सफाए का दम भर रहे थे और कहां अब खुद वो पुलिस वाले ही अपराधी बने घूम रहे हैं, जिन पर अपराध रोकने की जिम्मेदारी है.

फर्जी एनकाउंटर से बवाल, दरोगा गिरफ्तार

पूरे यूपी में जारी ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बीच नोएडा के सेक्टर 122 से आई एक तस्वीर पर बवाल मच मचा हुआ है. पहले पुलिस ने इसे एनकाउंटर का नाम देने की कोशिश की थी. लेकिन महज कुछ घंटों के अंदर साबित हो गया कि ये एनकाउंटर फर्जी था. लिहाज़ा मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस ने लीपा-पोती करनी शुरू कर दी है. और जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव को गोली मारने वाले दरोगा विजय दर्शन को गिरफ्तार करने के साथ ही निलंबित कर दिया गया.

संसद में गूंजी एनकाउंटर की आवाज़

योगी राज में सिर्फ पिछले दस महीनों में अब तक यूपी में करीब 12 सौ मुठभेड़ हो चुकी हैं. अब तो संसद में भी यूपी के ये ताबड़तोड़ एनकाउंटर बहस का मुद्दा बन गए हैं. समाजवादी पार्टी के इल्ज़ाम इस मामले में काफी संगीन हैं. पार्टी के नेता इसे न सिर्फ सरकार की निगरानी में सरकारी हत्या करार दे रहे हैं. बल्कि योगी के कार्यकाल में हुए तमाम एनकाउंटर की सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे हैं.

जिम ट्रेनर के एनकाउंटर से शक

अब आपको बताते हैं कि यूपी पुलिस के ये एनकाउंटर शक़ के दायरे में आए कैसे. हालांकि 10 महीने में करीब 12 सौ एनकाउंटर पर सवाल तो पहले भी काफी उठ चुके हैं. मगर नोएडा में जिस तरह जिम ट्रेनर के गले में गोली मारकर उसे एनकाउंटर का नाम दिया गया. उसने शक़ को और गहरा कर दिया.

ऐसे किया फर्जी एनकाउंटर

जानकारी के मुताबिक जिम ट्रेनर जितेंद्र शनिवार रात अपने तीन दोस्तों के साथ बहरामपुर से लौट रहा था. तभी नोएडा के सेक्टर 122 के चौराहे के पास पुलिस ने उसे रोक लिया. गाड़ी रूकते ही दारोगा विजय कुमार दर्शन और जितेंद्र में किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई. जितेंद्र के घरवालों का आरोप है कि दारोगा ने एनकाउंटर की धमकी देते हुए जितेंद्र की गर्दन में गोली मार दी. गोली चलाते ही जिंतेंद्र के तीनों दोस्त गाड़ी से भागने लगे. तो दारोगा ने सुनील नाम के एक युवक की टांग पर गोली चला दी. इसके बाद इस पुरी वारदात को एनकाउंटर का नाम दे दिया.

एक ही जिम में जाते थे आरोपी और मृतक

लेकिन चश्मदीदों ने पुलिस की पोल खोल दी. अब आलम ये है कि जितेंद्र के दोस्तों को गवाही न देने की धमकियां भी मिल रही हैं. चूंकि आरोपी दारोगा और जितेंद्र एक ही जिम में जाते थे. दोनों की पहले से जान-पहचान थी. यानी ये मसला निजी झगड़े का भी हो सकता है.

सिविल ड्रेस में था आरोपी दरोगा, नशे में होने का शक

अब तक जो बातें सामने आई हैं, उसके मुताबिक पुलिस वाले सादी वर्दी में थे. उन्होंने वायरलेस पर कंट्रोल रूप को कोई सूचना नहीं दी थी. बल्कि फोन पर स्टाफ और आला अधिकारियों को जानकारी दी गई. हालांकि, गोली मारने में सरकारी पिस्टल का इस्तेमाल हुआ. आरोपी दारोगा के शराब के नशे में होने की बात भी सामने आई है. हालांकि इसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी.

आरोपी दरोगा गिरफ्तार, 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड

गोली मारने के बाद पुलिस वाले मौके से भाग गए. जख्मी जितेंद्र को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. दारोगा की दबंगई की ख़बर जैसे ही इलाके के लोगों को लगी अस्पताल के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया. हालात बिगड़ते देख आलाअधिकरियों ने इस मामले में चार पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया. मुख्य आरोपी दरोगा विजय कुमार दर्शन की पिस्टल कब्जे में लेकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया.

                 Posted By.............. Akash Dwivedi

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